Friday, 18 November 2016

Thoughts


*मानव कितने भी प्रयत्न कर ले* 
            *अंधेरे में छाया*
            *बुढ़ापे में काया*
                    *और*
          *अंत समय मे माया*
       *किसी का साथ नहीं देती*

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         जरूरी नही की
       हर समय जुबा पर
     भगवान का नाम आये

       वो लम्हा भी भक्ति
        का होता है, जब
  इंसान-इंसान के काम आये!!
             

Sunday, 19 June 2016

Happy father's day

भुला के नींद अपनी सुलाया हमको, गिरा के आँसू अपने हँसाया हमको, दर्द कभी न देना उन हस्तियों को, खुदा ने माँ-बाप बनाया जिनको।

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Sunday, 13 March 2016

नजरिया

दो दोस्त एक आम के बगीचे से गुज़र रहे थे कि उन्होंने देखा के कुछ बच्चे एक आम के पेड़ के नीचे खड़े हो कर पत्थर फेंक कर आम तोड़ रहे हैं।

ये देख कर दोस्त बोला कि देखो कितना बुरा दौर आ गया कि पेड़ भी पत्थर खाए बिना आम नही दे रहा है।

तो दुसरे दोस्त ने कहा नहीं दोस्त तु गलत देख रहा है...
दौर तो बहुत अच्छा है की पत्थर खाने के बावजुद भी पेड़  आम दे रहा है।

दिल में ख़यालात अच्छे हो तो सब चीज अच्छी नज़र आती है, और
सोच बुरी हो तो बुराई ही बुराई नज़र आती है...

नियत साफ है तो नजरिया और नज़ारे खुद ब खुद बदल जाते है,,,।

आज का विचार

जिस तरह बरसात आने से पहले छतरी खोलने का कोई अर्थ नही , उसी तरह काल्पनिक मुशिबतों के लिए पहले से ही चिंता करने का कोई मतलब नही ।

Thursday, 10 March 2016

मेरा अस्तित्व

मेरा अस्तित्व

अंजुमन के उपवन में ,
उपवन के पौधों में ,
पौधों के फूलों में ,
मेरा अस्तित्वः
उस परागकण की भाँति है ।
जिसको स्वयं भवरें ,
न तो जानते हैं ,
न पहचानते हैं ।
है तो मेरा वजूद ,
इस माया पात्र में ,
इक अंश के बराबर ,
मगर मत भूलों  ,
ऐ जहाँ वालों  ,
मुझी से ये उपवन ,
हर पल महकाते हैं ,
हर पल मुस्कुराते हैं ।

                            संजय कुमार