Thursday 4 June 2020

आजादी ~ संजय


आजादी ~ संजय


थी मैं ख़ुश बहुत,
सागरों से घिरी हुई |
मन मोहक मारुत बहती थी,
रंग-बिरंगे प्रसूनों को छूती हुई ||

आँखे मेरी ख़ुश थी,
और चेहरे पर मुस्कान |
हर कोई गर्व से कहता,
मेरा भारत महान ||

पर अब आँखों में आंसू लिए ,
हजारों प्रश्न पूछ रही मैं आज |    
सब कुछ छिन गया मेरा ,
मजहब मुझ पर कर रहे राज ||     

एक चुभन है दिल में ,
रूह मेरी तार-तार |
मेरे ह्र्दय पर कर रहे ,
आज अपने ही वार ||

आँचल भीगा रहता मेरा ,
और मन मेरा खाली |
मेरे अपनों ने ही छीन ली,
मुझसे मेरी हरियाली ||

क्या मैं ज्यादा माँग रही हूँ तुमसे ,
क्यों करते मुझ पर मजहबी हाहाकार |
रोता है मन मेरा बहुत जब,
मेरे बच्चें करते आपस में ही नरसंहार ||

गुजर गया बहुत समय अब,
सहते हुए ये अत्याचार |
दे दो मुझको आजादी ,
यही है मेरी करुण पुकार||

  संजय