Thursday 10 March 2016

मेरा अस्तित्व

मेरा अस्तित्व

अंजुमन के उपवन में ,
उपवन के पौधों में ,
पौधों के फूलों में ,
मेरा अस्तित्वः
उस परागकण की भाँति है ।
जिसको स्वयं भवरें ,
न तो जानते हैं ,
न पहचानते हैं ।
है तो मेरा वजूद ,
इस माया पात्र में ,
इक अंश के बराबर ,
मगर मत भूलों  ,
ऐ जहाँ वालों  ,
मुझी से ये उपवन ,
हर पल महकाते हैं ,
हर पल मुस्कुराते हैं ।

                            संजय कुमार