: *दुःख में स्वयं की एक अंगुली*
      *आंसू पोंछती है ;*
*और सुख में दसो अंगुलियाँ*
          *ताली बजाती है ;*
*जब स्वयं का शरीर ही ऐसा*
           *करता है तो*
*दुनिया से गिला-शिकवा*
           *क्या करना...!!*
        *दुनियाँ की सबसे*
      *अच्छी किताब* *हम स्वयं हैं*
      *खुद को समझ लीजिए*
              *सब समस्याओं का* 
         *समाधान*  *हो जाएगा...*
 
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