साल में दिन ये आता है एक बार,
महकती हैं हवाएं मचलती है बहार।
कहती है फिज़ा मुझसे ये बार-बार,
आज तुम्हारे के जन्मदिन पर
यही कामना है मेरी,
महकी रहे मधुबन-सी जिंदगी,
खिला रहे गुलाबों सा मन।
कभी ना आये गमों की रजनी,
बरसता रहे खुशियों का सावन।
✍️ संजय
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